क्रोध पर नियंत्रण परम आवश्यक है
गंगरार , क्रोध पर नियंत्रण परम आवश्यक है उक्त विचार स्वाध्यायी मधु बाबेल ने सोमिल द्वारा गज सुकुमाल मुनि के सिर पर मिट्टी की पाल बांधकर जलते हुए अंगारे रखने के प्रसंग को व्याख्यायित कर पर्युषण पर्व के आठवें दिन रविवार को सम्वतसरी पर्व को क्षमा दिवस के रुप में मनाते हुए वर्धमान स्थानक भवन में व्यक्त किये।
गंगरार , क्रोध पर नियंत्रण परम आवश्यक है उक्त विचार स्वाध्यायी मधु बाबेल ने सोमिल द्वारा गज सुकुमाल मुनि के सिर पर मिट्टी की पाल बांधकर जलते हुए अंगारे रखने के प्रसंग को व्याख्यायित कर पर्युषण पर्व के आठवें दिन रविवार को सम्वतसरी पर्व को क्षमा दिवस के रुप में मनाते हुए वर्धमान स्थानक भवन में व्यक्त किये। उन्होंने जीवन को सुखमय पूर्वक जीने के लिए क्षमा, करुणा व वात्सल्य आदि महान गुणों को जीवन में अपनाने का आह्वान किया। वरिष्ठ स्वाध्यायी रुक्मिणी बाई गोखरू ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि हमें कषायो को जीवन में दूर कर व आत्मा का पोषण करते हुए निज गुणों को उभार कर गुरु भगवन्तों के समक्ष अपनी आत्म आलोचना करने पर बल दिया तथा शीलवान राजा का दृष्टांत भी सुनाया। जैन समाज अध्यक्ष कोमल सिंह मोदी ने बताया की पर्युषण पर्व के आठवें दिन क्षमा याचना दिवस के रूप में सम्वतसरी पर्व मनाया गया।अध्यक्ष मोदी ने पर्युषण पर्व पर समाजजनों द्वारा मिले त्याग, तपस्या व योगदान तथा स्वाध्यायी रुक्मिणी बाई व मधु बाबेल द्वारा प्रतिदिन प्रवचन कर धार्मिक गतिविधियां संचालित करने पर आभार व्यक्त किया । अध्यक्ष मोदी ने बताया कि शनिवार को सम्वतसरी पर्व पर प्रवचन के बाद जैन समाज प्रवक्ता मधुसूदन शर्मा, पारस मल डांगी, मन्त्री सागर मल सुराणा ने संचालन करते हुए क्षमायाचना दिवस का महत्व बताया। धर्म सभा में सुजान मल सुराणा ने भी गीत प्रस्तुत किया। अध्यक्ष मोदी के अनुसार सम्वतसरी पर्व पर जैन समाज के नन्हे मुन्हे बालक बालिकाओं में कामना व सुरभि ने "संयम धरयो वैश प्यारो लागे"परी सुराणा व सुहानी सुराणा ने महावीर स्वामी व नवकार मंत्र पर नृत्य प्रस्तुत किये। इस अवसर पर वैदिक व सुहानी ने नाटक की प्रस्तुति दी। वेद पाठशाला की संचालिका वीणा सुराणा ने गज सुकुमाल द्वारा संयम अंगीकार कर भगवान की आज्ञा ले मोक्ष प्राप्ति बाबत की गई साधना पर लघु नाटिका के बाल कलाकारों में अव्यांश, परी, साधना, यश, वैदिक, अंशु सुराणा,लावण्य व स्नेहा ने पात्र बनकर नाटिका का शानदार विभिन्न प्रसंगानुसार वैशभूषा में मंचन किया। युवा अध्यक्ष सुनिल कुमार लोढ़ा व कोषाध्यक्ष कपिल मोदी ने बताया कि पर्यूषण पर्व के प्रारंभ से लेकर सम्वतसरी पर्व तक आयोजित हुई शब्द जोड़ो प्रतियोगिता, टेबल बनाना, नाटक, घड़ी बनाना, पंच तीर्थ यात्रा, आसन प्रतियोगिता, ज्ञान प्रतियोगिता, भजन प्रतियोगिता व24 तीर्थंकर आदि विभिन्न धार्मिक प्रतियोगिताओ के विजेता प्रतिभागियों को प्रेरणा स्वरूप वरिष्ठ समाज जनो द्वारा उनका यथोचित सम्मान करते हुए पारितोषिक प्रदान किए गये। अध्यक्ष मोदी ने बताया कि इस अवसर पर पांच एवं तीन उपवास करने वाले तपस्वियों में आनंदीबाई कोठारी, अनुजा देवी लोढ़ा, अनीता देवी छीपा, सरिता सुराणा, सुजानमाल लोढा एवं ज्ञानमल डांगी का ऊपरना व चंदन की माला पहना अभिनंदन भी किया गया। कोषाध्यक्ष चांदमल कोठारी ने बताया कि सम्वतसरी पर्व पर स्वाध्यायी रुक्मिणी बाई गोखरु एवं मधु बाबेल का पूर्व सरपंच उषा देवी मोदी, वीणा सुराणा, ललिता सुराणा,सुनिता कोठारी ,निशा डांगी, सौरभ देवी सहित महिलाओ द्वारा चन्दन की माला पहना व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उनका अभिनन्दन किया गया। युवा मन्त्री हरीश सुराणा व जैन समाज प्रवक्ता मधुसूदन शर्मा के अनुसार दिन भरे चले धार्मिक आयोजन की समाप्ति के पश्चात अपरान्ह चार बजे जैन समाज अध्यक्ष कोमल सिंह मोदी व समाजजनों द्वारा आदिनाथ मंदिर पर भगवान ऋषभ देव की पूजा अर्चना कर महाआरती उतारी गई। प्रतिक्रमण के बाद सामूहिक रूप से क्षमा याचना की रस्म निभाते हुए खमत खामणा की गई। प्रवक्ता मधुसूदन शर्मा ने बताया कि धर्म सभा में मिश्रीलाल कोठारी, शांतिलाल कोठारी, शंभू लाल, हस्तीमल, सुजान मल, ज्ञान मल सुराणा,, सुजान मल लोढ़ा, महावीर लोढ़ा, पारसमल बाफना, ज्ञानमल डांगी, प्रवीण कोठारी, सहित कई जैन समाज जन उपस्थित थे।
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