भारत की सामाजिक, आर्थिक और संस्कृति की रक्षा करता है संविधानः मिश्रा
bhaarat kee saamaajik, aarthik aur sanskrti kee raksha karata hai sanvidhaanah mishra
भारत की सामाजिक, आर्थिक और संस्कृति की रक्षा करता है संविधानः कुलपति डॉ.आलोक मिश्रा
-लोकमत परिष्कार कार्यक्रम का समापन मेवाड़ यूनिवर्सिटी में हुआ
चित्तौड़गढ़। लोगों को लोकतंत्र और चुनाव का महत्व बताने के उद्देश्य से देशभर में आयोजित किए जा रहे ’लोकमत परिष्कार‘ कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को मेवाड़ यूनिवर्सिटी में किया गया। यह कार्यक्रम एकात्मक मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टडी चेयर के तत्वाधान में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में वक्ताओं ने भारतीय संविधान की विशेषताओं और इसके महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश ड़ाला। इसके साथ ही कुछ लोगों को सम्मानित किया गया जो लोकतंत्र और संविधान के प्रति लोगों में जागरूकता लाने और उन्हें लोकतंत्र का वास्तविक महत्व समझाने के लिए कार्य कर रहे है। कार्यक्रम की शुरूआत में कुलपति प्रो. (डॉ.) आलोक मिश्रा ने संविधान की प्रति दिखाते हुए समझाया कि किस प्रकार 26 जनवरी 1950 के बाद संविधान भारत का सर्वाेच्च कानून बन गया। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान विश्व का सबसे लम्बा और लिखित दस्तावेज ही नहीं है बल्कि स्वयं में एक शोध है जो कि सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक लोकतंत्र को सुनिश्चित करता है। संविधान की अनेक वर्गों के बुद्धिजीवियों ने मिलकर इसकी रचना की है। कभी-कभी किसी विषय पर जब निर्णय लेने में कठिनाई सामने आती है तो न्यायपालिका विधायिका के बनाए हुए कानून के विपरीत जाकर संविधान प्रदत्त विधि के शासन को ही अंतिम निर्णय मानती है क्योंकि न्यायपालिका को ही न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति प्राप्त है। भारत में राष्ट्रपति और राज्यपाल दोनों ही ऐसे है जो संविधान के अभिरक्षण, परिरक्षण और संरक्षण की शपथ लेते हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टडी चेयर के चेयर प्रोफेसर प्रो. (डॉ.) लोकेश शर्मा ने कहा कि भारत का लोकतंत्र विश्व का सबसे महान लोकतंत्र है। इसमें सभी वर्गों को मताधिकार देकर अपने जनप्रतिनिधि को चुनने का अधिकार मिला है। हमें चुनावों में अपना वोट जरूर देना चाहिए ताकि ईमानदार और स्वच्छ छवि के व्यक्ति का चुनाव हो सकें जो समाज और देश को प्रगतिशील बनाएं। मतदान प्रतिशत बढ़ने से ही राजनीति में जातिवाद समाप्त हो सकेगा। उन्होंने बताया कि एकात्मक मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार गदिया की प्रेरणा से मतदान जागरूकता के लिए लोकमत परिष्कार कार्यक्रम देश में जगह-जगह आयोजित किए गए थे। इस मौके पर रजिस्ट्रार प्रोफेसर प्रदीप डे ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के कथन ‘लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए तथा जनता द्वारा शासन है’ को सुनाते हुए कार्यक्रम का समापन किया। वक्ताओं ने महापुरूष पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और उल्लेखनीय कार्याें पर भी प्रकाश ड़ाला। सम्मान पाने वालों में गोविंद शर्मा, के.के उपाध्याय, संजय उपाध्याय, विपिन शर्मा और टीपू शर्मा आदि शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन वीरेंद्र भाटी और कार्यक्रम में समस्त शिक्षकगण मौजूद रहे।
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