आराधना एवं साधना दुश्मनी वैर को मैत्री अमन चैक में बदलने का समाधान, संवत्सरी क्षमा यामना : मुनि प्रसन्न
चित्तौड़गढ़। तेरापंथ सभा के मंत्री ललित सुराना ने बताया कि पर्युषणा का 8वां दिन संवत्सरी महापर्व की आराधना में विभिन्न पौखध त्याग आदि के प्रायोगिक उपासना के रूप में मुनि संजय कुमार के सानिध्य में मनाया गया। मुनि प्रकाश कुमार एवं मुनि धैर्य कुमार ने संवत्सरी पर्व पर इतिहास 8 के संदर्भ में सम्बोधन दिया।
पर्युषणा का अंतिम 8वां आराधना का दिवस
चित्तौड़गढ़। तेरापंथ सभा के मंत्री ललित सुराना ने बताया कि पर्युषणा का 8वां दिन संवत्सरी महापर्व की आराधना में विभिन्न पौखध त्याग आदि के प्रायोगिक उपासना के रूप में मुनि संजय कुमार के सानिध्य में मनाया गया। मुनि प्रकाश कुमार एवं मुनि धैर्य कुमार ने संवत्सरी पर्व पर इतिहास 8 के संदर्भ में सम्बोधन दिया।
मुनि संजय कुमार जी ने आचारांग सूत्र का वांचन कर महावीर के साधना की विलक्षण घटनाओं को सुनाया। परम धार्मिक आत्मा भगवान महावीर थे। फिर भी उनमे मारपगांतिक कष्ट उस सत युग आए वर्तमान में कष्ट आए तो आश्चर्य नहीं लगता है। क्योंकि कल युग चल रहा है। परम धार्मिक कष्ट उपसर्गों को समता से सहन करता है। उसको सकारात्मक दृष्टी से देखता है कि ये कष्ट मेरे कल्याण के हेतु है। अधार्मिक इनको नेगेटिव में लेकर दुखी बन जाता है। दोनों में समता और ममता का फर्क है।
मुनि प्रसन्नकुमार ने आज संवत्सरी महापर्व का मानवीय ही नहीं प्राणीमात्र के कल्याण का महत्वपूर्ण दिन माना गया है। केवल जैन समाज की आध्यात्मिक पर्व नहीं है। प्राणी मात्र के कल्याण के शांति अमन चैन की कामना एवं सौहार्द सद्भावना क प्रयोग इस पर्व में होते हैं। संवत्सरी महापर्व प्राणीमात्र में मैत्री सौहार्द का वातावरण निर्मित कर दुश्मनी वैर को समाप्त करने का प्रयत्न करता है। वैसे पर्युषण संवत्सरी की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि इतनी महत्वपूर्ण कि सभी धर्म सम्प्रदायों को मान्य है। क्षमन खमणा यिन क्षमा देना व लेना कितना महत्वपूर्ण है। ईसाई समाज भी मानते हैं - मैं उसको माफ करता हूँ। भारत में काई किसी का मर्डर करता है तो फांसी सजा न मिले तब तक संतोष नहीं होता। कर्मवाद कहता है। वह मर कर आगे जनम में फिर दुश्मन बन सकता है। यहां माफी नामा प्रयश्चित दण्ड से राजीनाम हो गया तो आगे वैर दुश्मन नहीं बढ़ेगी। इसलिए दुश्मनी वैर विरोध की गांठ का ऑपरेशन मैत्री सौहार्द से ही संभव होता है। बड़े-बड़े देश दुश्मनी से बर्बाद हो रहे और हो गये। क्षमा मैत्री का प्रयोग करते तो युद्ध बर्बादी मैत्री अमनचैन में बदल जाती है। संवत्सरी का मुख्य लक्ष्य क्षमा देना व लेना परिणाम मैत्री सौहार्द अमन चैन के वातावरण में बदल कर सदा के लिए स्थाई समाधान करना हमारा लक्ष्य बने। युद्ध की विभिषिका से बर्बाद हो देशों को हमारा संदेश देकर बचाना है।
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