अनंत चतुर्दशी पर इन उपायों से खुलेंगे सुख-समृद्धि के द्वार मिलेगी रोगों से मुक्ति
भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व मनाया जाता है। इस त्योहार को अनंत चौदस नाम से जाना जाता है। भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित इस पर्व के महत्व को भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था।
अनंत चतुर्दशी 2023
भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व मनाया जाता है। इस त्योहार को अनंत चौदस नाम से जाना जाता है। भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित इस पर्व के महत्व को भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। भगवान सत्यनारायण के स्वरूप में भगवान श्री हरि विष्णु ही अनंत रूप हैं। हिंदू मान्यताओ के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया की साथ ही सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है । इस दिन भगवान सत्यनारायण के साथ अनंत देव की पूजा की जाती है। ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित है एवं इसी दिन गणेश उत्सव का समापन भी होता है । मुख्यतः जीवन में खुशहाली और संपन्नता पाने के लिए इस पावन दिन कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए ।
अनंत चतुर्दशी क्यों है खास
प्रचलित मान्यताओ के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील बताते है की अनंत चतुर्दशी पर श्रीहरि विष्णु ने 14 लोकों की रक्षा करने के लिए चौदह रूप धारण किए थे, इसलिए ये पर्व बहुत खास माना जाता है इस दिन श्रीहरि विष्णु के अनंत रूपों की विधि विधान से पूजा की जाती है एवं 14 गांठ वाला सूत्र कलाई पर बांधा जाता है. मान्यता है ऐसा करने से बुरी शक्ति करीब नहीं आती, व्यक्ति पर आने वाले संकट टल जाते हैं ।
अनंत चतुर्दशी 2023 मुहूर्त
हिंदू पंचाग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 27 सितंबर 2023 को रात 10 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 28 सितंबर 2023 को शाम 06 बजकर 49 मिनट पर इसका समापन होगा ।
विष्णु पूजा का मुहूर्त - सुबह 06.12 - शाम 06.49
गणेश विसर्जन का मुहूर्त - सुबह 10.42 - दोपहर 3.10
शाम 4.41 - रात 9.10
प्रात: 12.12 - दोपहर 1.42, 29 सितंबर
अनंत चतुर्दशी पर क्यों बांधते हैं 14 गांठ वाला रक्षा सूत्र
धार्मिक मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा कर रक्षा सूत्र बांधने से व्यक्ति के सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं. ये 14 गांठ भगवान विष्णु के 14 रूपों का प्रतीक मानी जाती है. कहते हैं कलाई पर इसे बांधने से सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है. मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है ।
अनंत चतुर्दशी पर रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र
अनंन्तसागर महासमुद्रे मग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजितात्माह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते॥
ये करे विशेष उपाय :- अनंत चतुर्दशी के दिन 14 लौंग लगा हुआ लड्डू भगवान सत्यनारायण के कलश पर अर्पित करें। पूजा के उपरांत इसे किसी चौराहे पर रख दें। ऐसा करने से आने वाले संकटों से रक्षा होती है। अनंत चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर घर की पूर्व दिशा में लाल कपड़ा बिछाकर पीतल का कलश स्थापित करें। अनंत कलश के पास 14 कुश रखें। कुमकुम, केसर, हल्दी, 14 गांठ वाला अनंत सूत्र तैयार करें। भगवान की विधिवत पूजा-अर्चना करें, घी का दीपक जलाएं। भगवान सत्यनारायण का स्मरण करते हुए अनंत सूत्र को अपने हाथ में धारण करें। भगवान सत्यनारायण के कलश पर चढ़े 14 जायफल बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें, ऐसा करने से विवादों से मुक्ति मिलती है। इस दिन कलाई पर चौदह गांठ युक्त रेशमी धागा बांधा जाता है, जिसे अनंतसूत्र कहा जाता है। इसे धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। परिवार में कोई सदस्य पुरानी बीमारी से ग्रसित है तो अनंत चतुर्दशी के दिन अनार उसके सिर से वार कर भगवान सत्यनारायण के कलश पर चढ़ाएं और इसे गाय को खिला दें। अनंत कलश पर आलता अर्पित करें। अनंत कलश पर 12 राजमा चढ़ाकर जल में प्रवाहित कर दें, ऐसा करने से हानि से मुक्ति मिलती है। श्री हरि के मंदिर में इस दिन लाल फल अर्पित करने से दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
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