रेडियो की उपयोगिता वर्तमान में भी कम नहींः मिश्रा
वेबिनार में स्टूडेंट्स ने एनडीएलआई की उपयोगिता जानी
चित्तौड़गढ़। मेवाड़ यूनिवर्सिटी में मंगलवार को मैनेजमेंट और मॉस एंड मीडिया कम्युनिकेशन विभाग के सहयोग से विश्व रेडियो दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. (डॉ) आलोक मिश्रा ने कहा कि मौजूदा समय में भले ही रेडियो की उपयोगिता कम हो गई है लेकिन कई दशक पूर्व रेडियो सबसे महत्वपूर्ण संचार साधन था। रेडिया के माध्यम से ही हम देश-विदेश की खबरें, मौसम की खबरें, और कई मनोरंजन कार्यक्रम सुनने को मिलते थे। बेशक आज के तकनीकी युग में पत्रकारिता और जनसंचार के साधन बदल गए है लेकिन रेडियो की उपयोगिता आज भी बनी हुई है। कार्यक्रम में प्रोजेक्टर के माध्यम से विश्व रेडियो दिवस के वृत्त चि़त्र भी दिखाएं गए। इस मौके पर कार्यक्रम में ओएसडी एच. विधानी, सहायक प्रोफेसर विक्रम सिंह, राज सिंह, माधुरी भट्ट, काजल माहेश्वरी आदि समेत काफी संख्या में स्टूडेंट्स उपस्थित रहे। वहीं मेवाड़ यूनिवर्सिटी के सेंट्रल लाइब्रेरी द्वारा नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया (एनडीएलआई) के सहयोग से एक ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें 100 से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में एनडीएलआई क्लब के वरिष्ठ प्रबंधक (आउटरीच) पार्थसेन गुप्ता ने स्टूडेंट्स को ई-संसाधनो के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए इसके प्रभावी उपयोग और एनडीएलआई क्लब के उपयोग और लाभों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह प्लेटफॉर्म यूजर्स और विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ानें में काफी मद्दगार है जिससे उनको बहुत सी सटीक जानकारियां ऑनलाइन उपलब्ध हो जाती है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मेवाड़ यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरियन रामसहाय कुमावत ने स्टूडेंट्स को एनडीएलआई में रजिस्ट्रेशन की ऑनलाइन प्रक्रिया को विस्तार से समझाते हुए इससे जुड़ी कई बारीकी जानकारियां प्रदान की। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम स्टूडेंटस को नई तकनीकी ज्ञान प्रदान करते है। इससे स्टूडेंट्स को समय के साथ स्वयं को अपडेट रखने का मौका मिलता है।
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