स्वेनिर्देशित और आत्म-अनुशासित रहकर विधार्थी पढ़ाई के साथ व्यक्तित्व विकास करेः डॉ. मिश्रा
चित्तौड़गढ़। मेवाड़ यूनिवर्सिटी में बुधवार को बीफॉर्मा और डीफॉर्मा कोर्स के विद्यार्थियों का इंटरेक्शन प्रोग्राम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विधार्थियों को संबोधित करते हुए मेवाड़ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. आलोक मिश्रा ने कहा कि वर्ष 2008 में यूनिवर्सिटी से संबंधित अध्यादेश पारित किया गया था और वर्ष 2009 में एक्ट बनाकर यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई थी। वर्तमान में यूनिवर्सिटी तेजी से विकास कर रही है

चित्तौड़गढ़। मेवाड़ यूनिवर्सिटी में बुधवार को बीफॉर्मा और डीफॉर्मा कोर्स के विद्यार्थियों का इंटरेक्शन प्रोग्राम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विधार्थियों को संबोधित करते हुए मेवाड़ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. आलोक मिश्रा ने कहा कि वर्ष 2008 में यूनिवर्सिटी से संबंधित अध्यादेश पारित किया गया था और वर्ष 2009 में एक्ट बनाकर यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई थी। वर्तमान में यूनिवर्सिटी तेजी से विकास कर रही है, जिससे आस-पास क्षेत्र की अर्थव्यवस्था भी बदल रही है। वर्ष 2004 में चित्तौड़गड़ स्थित मेवाड़ गर्ल्स कॉलेज की स्थापना की गई थी तभी से वहां स्किल डिवलपमेंट प्रोग्राम चलाया जाता है ताकि छात्राएं स्वावलंबी बन सकें। वर्तमान में यूनिवर्सिटी में भी स्किल डिवेलपमेंट प्रोग्राम के प्रति विधार्थियों का काफी रूझान देखने को मिल रहा है। यूनिवर्सिटी में अभी तक 4000 से ज्यादा विधार्थी जम्मू और कश्मीर, लेह और लद्दाख से शिक्षा प्राप्त कर चुके है और अधिकांश सरकारी और गैर सरकारी विभागों में उच्च पदों पर आसीन है। यूनिवर्सिटी प्रशासन की पूरी कोशिश है कि शिक्षा से वंचितों और आर्थिक रूप से पिछड़े विधार्थियों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाएं।
उन्होंने कार्यक्रम में विधार्थियों को रेलवे एक्ट, मेडिकल एक्ट, यूजीसी एक्ट, यूनिवर्सिटी एक्ट के प्रावधानों और विधार्थियों से संबंधित यूनिवर्सिटी के विभिन्न नियमों की विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. मिश्रा ने विधार्थियों से आहृवान किया कि वे स्वनिर्देशित और आत्म- अनुशासित रहकर पढ़ाई के साथ व्यक्तित्व विकास करें ताकि जब वे यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त करके जाएं तो समाज व राष्ट्र के हित में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि यूनिवर्सिटी में जल्द ही रोवर्स-रेंजर्स की इकाई भी खुलेगी। यूनिवर्सिटी प्रशासन की योजना है कि देश-विदेश से ज्यादा से ज्यादा वंचित बच्चों को शिक्षित कर सकें। यूनिवर्सिटी का उद्देश्य है कि विधार्थियों के अंदर साझा संस्कृति पैदा हो ताकि वे एक-दूसरे धर्म और संस्कृति की अच्छी बातों को आत्मसात कर सकें। तभी भविष्य में भारत विश्वगुरू बन सकेगा। कार्यक्रम के अंत में संगीत विभाग से सहायक प्रफेसर हरिओम गांधर्व ने यूनिवर्सिटी के कुलगीत का गायन करके इसकी विशिष्टताओं के बारे में विधार्थियों को गहनता से बतलाया। इस मौके पर फॉर्मेसी संकाय से विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव कुमार शर्मा, भूमिका दधीच, तान्या शर्मा, नेहा नायर, जुल्फिकर अली, तन्मय व्यास और अभिषेक चतुर्वेदी आदि उपस्थित थे।
What's Your Reaction?






