समाज को संसाधन नहीं सद्भाव की आवश्यकता
चित्तौड़गढ़, समाज को संसाधन से नहीं सद्भाव व एकजुटता से ही आगे बढ़ाया जा सकता है। उक्त सर्वसम्मत सारांश के साथ मेवाड़ के प्रख्यात धार्मिक स्थल सांवलियाजी(मण्डफिया) में आयोजित पाराशर ब्राह्मण समाज की दो दिवसीय बौद्धिक व स्नेह संगोष्ठी सम्पन्न हुई।

पाराशर ब्राह्मण समाज संगोष्ठी आयोजित
चित्तौड़गढ़, समाज को संसाधन से नहीं सद्भाव व एकजुटता से ही आगे बढ़ाया जा सकता है। उक्त सर्वसम्मत सारांश के साथ मेवाड़ के प्रख्यात धार्मिक स्थल सांवलियाजी(मण्डफिया) में आयोजित पाराशर ब्राह्मण समाज की दो दिवसीय बौद्धिक व स्नेह संगोष्ठी सम्पन्न हुई। संयोजक दीपक पाराशर जीणमाता ने बताया कि 13 व 14 जनवरी को वृन्दावन वाटिका में आयोजित संगोष्ठी में इन्दौर, मुम्बई,दिल्ली,अहमदाबाद,जयपुर,सीकर,नीमच,भीलवाड़ा,उदयपुरपुष्कर,मारवाड़ सहित देशभर के 60 चुनिन्दा समाजजनों ने शिरकत की। आयोजन प्रभारी नीरज पाराशर सिगोंली के मार्गदर्शन में संगोष्ठी सहभागियों ने चित्तौड़गढ़ किले का भ्रमण कर ऐतिहासिक अवलोकन किया। बौद्धिक चर्चा के दौरान सहभागियों ने समाज में भौतिक विकास से ज्यादा आपसी सद्भाव व स्नेह समन्वय की आवश्यकता जताई। साथ ही भविष्य में सामाजिक सद्भाव को आगे बढ़ाने के लिए निरन्तर गतिविधियां चलाने पर सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया गया। इस दौरान सभी सहभागियों का पसांवलिया सेठ का चित्र व स्मृति चिन्ह से सम्मान किया गया। संगोष्ठी में मुकेश पाठक उदयपुर ,प्रभुलाल पाराशर मुंबई,वासुदेव पाराशर अहमदाबाद,महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष बालकृष्ण पाराशर भीलवाडा,नेमीचंद धोद,जगदीश पाराशर निम्बाहेड़ा, दिनेश पाराशर जीरण, नानालाल पाराशर बेगूं,अरविंद पाराशर लालसोट,मुकेश पाराशर फतहनगर दिनेश पाराशर सिंहपुर सहित अन्य लोगों ने संबोधित किया। इस दौरान गोपाल पाराशर अहमदाबाद, विजयशंकर पाराशर दिल्ली,कमलेश शर्मा दिल्ली अमित शर्मा दिल्ली,विकास पाराशर जीणमाता, प्रदीप पाराशर बरुन्दनी, अनुभव पाराशर सिंगोली सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
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