सनातन धर्म वासुदेव कुटुंब की भावना रखता है- प्रकाशानंद महाराज
निम्बाहेड़ा। निकटवर्ती डोरिया गांव में श्री हनुमान जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष में आयोजित श्री राम कथा के छठे दिवस आज शनिवार को प्रकाशानंद महाराज ने बताया कि सीता श्री राम का विवाह भक्ति और ज्ञान का मिलन है। सीता भक्ति है, तो ज्ञान राम है।
कथा वाचक प्रकाशन नंद जी महाराज ने विवाह महोत्सव का बड़े ही मनमोहक अंदाज में कथा का वाचन किया। उन्होंने सीता राम विवाह की मनमोहक मिथिला की विवाह गीत की प्रस्तुति भी दी। कथा के दौरान धनुष यज्ञ पर विस्तार से वर्णन किया। उन्होने कहा कि जब भगवान श्री राम के हाथों से धनुष टूटा तो किसी ने धनुष से पूछा कि सीताराम के विवाह में सभी खुश है पर तुम तो बहुत दुखी होंगे, क्योंकि तुम्हें भगवान श्री राम ने तोड़कर धरती पर डाला है, उसे टूटे हुए धनुष ने जवाब दिया कि मैं सबसे ज्यादा खुश हूं क्योंकि हम जब तक जुड़े थे, तब तक दूसरे को तोडऩे का काम करते थे, देखो आज हम टूट कर भी सीता और राम को जोडऩे का काम कर रहे हैं। आज मेरे टूटने के कारण सीता जी और श्री रामचंद्र जी जुड़कर एक हो जाएंगे, फिर मेरा सौभाग्य तो देखो हम टूट कर भी भगवान श्री राम के चरणों में पड़े हुए हैं।
महाराज श्री ने बताया कि धनुष अहंकार का प्रतीक है, मनुष्य के शरीर में जब तक अहंकार रहता है तब तक ज्ञान और भक्ति को प्राप्त नहीं कर सकता है। माता जानकी राम जी का विवाह आनंद देने वाला है। राम तो सारे संसार के पालन हार हैं, राम तो जगत पिता है, राम जगतपति है, सनातन धर्म से बड़ा इस विश्व में कोई धर्म नहीं है। सनातन धर्म मर्यादा सीखाता है और कुछ धर्म मारना और काटना सीखते हैं, सनातन धर्म वासुदेव कुटुंब की भावना रखता है।
कथा के दौरान माता जानकी और राम जी की विशेष झांकी की प्रस्तुति दी गई। जिसमें सभी श्रद्धालु श्रोता झूम उठे और नाचने लगे तथा गीतों पर राम विवाह का आनंद लिया। कथा में बजरंग दल के सभी कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सहजानंद आश्रम परिवार से पंडित नंदलाल शर्मा, श्रद्धानंद जी महाराज रामचंद्र जी उपस्थित रहे और समस्त ग्रामवासी उपस्थित रहे।
What's Your Reaction?