पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन संवत्सरी पर्व का हुआ आयोजन
Samvatsari festival organized on the last day of Parvadhiraj Paryushan festival
पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन संवत्सरी पर्व का हुआ आयोजन
निम्बाहेड़ा।
पर्वाधिराज पर्यूषण के अंतिम दिन आत्मशुद्धि व आत्मअवलोकन के सामाजिक एकता व सद्भावना के संवत्सरी पर्व को जैन दिवाकर भवन आदर्श कॉलोनी में चातुर्मास हेतु विराजित जैन महा साध्वी श्री प्रतिभा श्रीजी म.सा., स्पष्ट वक्ता महासाध्वी श्री प्रेक्षा श्रीजी म.सा., सेवाभावी महासाध्वी श्री प्रेरणा श्री जी म.सा आदि ठाणा 3 के सानिध्य में आयोजित किया गया।
संवत्सरी पर्व के अवसर पर अपने प्रवचन की श्रृंखला में महासाध्वी श्री प्रतिभा श्रीजी म.सा. ने कहा कि संवत्सरी पर्व जैन समाज का सर्वश्रेष्ठ पर्व है, यह आठ दिनों का पर्व होता है, जिसका अंतिम दिन संवत्सरी क्षमा पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व आठों दिनों में दान, शील, तप व भावना के साथ मनाया जाता है। महासाध्वी जी ने कहा कि अपने कर्मों की निर्जरा के लिए यह पर्व मनाया जाता है, आदमी मन, वचन, काया से जाने अनजाने होने वाले पाप, दोषों के लिए क्षमा मांगता है। उन्होंने कहा कि जैन शास्त्र अनुसार हर दिन सुबह-शाम प्रतिक्रमण करते समय पश्चाताप के साथ मन, वचन, काया से क्षमापना करते हैं।
महा साध्वी जी ने तप का महत्व बताते हुए कहा कि रत्नावली, कनकावली, मुक्तावली तप करके अनेक आत्माओं ने अपना उद्धार किया है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर बड़े ही ज्ञानी, कल्याणी व प्रभु वीर थे, यह आरा सुख-दुख का चल रहा है।
इस अवसर पर गुरु जैन दिवाकर समीर मंगल आराधना रूपी भक्ति सरिता पत्रिका का विमोचन भी किया गया। पत्रिका प्रकाशन के लाभार्थी प्रथम वीरवाल समाजरत्न स्व. लक्ष्मण जी वीरवाल के सुपुत्र मदनलाल, ओमप्रकाश वीरवाल परिवार का श्री संघ द्वारा आभार व्यक्त किया गया। पत्रिका का विमोचन संघ के संरक्षक केसरीमल सिंघवी, पूर्व विधायक अशोक नवलखा, अध्यक्ष विजय मारू, पूर्व अध्यक्ष ज्ञानचंद ढेलावत, मोतीलाल रांका, हस्तीमल दुग्गड़, कमलेश ढेलावत, सुरेश सिंघवी, पारस वीरवाल, गिरीश श्रीमाल, सिद्धराज सिंघवी, आनंद सालेचा आदि व महिला मंडल की पदाधिकारी के द्वारा किया गया। संघ के अध्यक्ष विजय मारू ने सांवत्सरिक क्षमा याचना करते हुए चातुर्मास के लिए सभी के सहयोग के प्रति कृतज्ञता व्यक्त
की।
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