स्वच्छ भारत मिशन में प्रमुख घटक गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रीकरण तथा प्लास्टिक उन्मूलन है :  गुप्ता

Key components in Swachh Bharat Mission are separate collection of wet and dry waste and plastic elimination: Gupta

Mar 5, 2024 - 18:58
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स्वच्छ भारत मिशन में प्रमुख घटक गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रीकरण तथा प्लास्टिक उन्मूलन है :  गुप्ता
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण समन्वयक गुप्ता ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से प्रशिक्षण एवं प्रगति समीक्षा बैठक ली
भीलवाड़ा। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) राजस्थान सरकार द्वारा नियुक्त समन्वयक और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) भारत सरकार राष्ट्रीय योजना स्वीकृत समिति के गैर सरकारी सदस्य श्री केके गुप्ता द्वारा मंगलवार वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जिले की समस्त 14 पंचायत समिति में चयनित 71 मॉडल ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि और कार्मिकों का प्रशिक्षण तथा प्रगति समीक्षा बैठक ली गई। 
वीडियो कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए समन्वयक गुप्ता ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में प्रमुख घटक यह है कि प्रत्येक घर से प्रतिदिन समयबद्धता के साथ में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करके एकत्र किया जाए क्योंकि यदि समस्त कचरा एक ही कचरा पात्र में शामिल किया जाएगा तो उसे सेग्रीगेशन करके निस्तारित किया जाना संभव नहीं हो पाएगा। सूखा कचरा बहुत उपयोगी होता है इसे किसी भी सीमेंट फैक्ट्री को बेचकर राजस्व अर्जन किया जा सकता है। इसका बेहतरीन उदाहरण हमें नगर परिषद डूंगरपुर में देखने को मिलता है जहां वर्तमान समय में भी सूखा कचरा को सीमेंट कंपनियों को बेचा जा रहा है। इसके अतिरिक्त घरों से गीला कचरा जो हमें प्राप्त होता है उसे वैज्ञानिक पद्धति अनुसार उत्तम गुणवत्ता वाली खाद बनाई जा सकती है जो फसल के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। 
गुप्ता ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए प्राथमिकता के साथ में दूसरा लक्ष्य यह रहना चाहिए कि हमारे गांव क्षेत्र से प्लास्टिक का पूरी तरीके से उन्मूलन होना चाहिए तथा इसका उपयोग दुकानदार अथवा जनता द्वारा नहीं किया जाए इसकी निगरानी रखना भी पंचायत के सरकारी तंत्र का दायित्व है। स्वच्छ भारत मिशन में जन जागरूकता और प्रचार प्रसार के दृष्टिकोण से आई ई सी गतिविधियां संचालित की जा रही है, उसके तहत भी यह कार्य प्रमुखता के साथ किया जाना चाहिए। प्लास्टिक पदार्थ का एक बहुत बड़ा नकारात्मक प्रभाव यह है कि यह कभी खत्म नहीं होता है और जमीन के अंदर पड़ा रहे तब भी यह सिर्फ अपना स्थान परिवर्तन करता है ना कि स्वतः नष्ट होता है। संबंधित ग्राम पंचायत के कार्मिक द्वारा प्रत्येक घर-घर एक प्लास्टिक संग्रहण का कट्टा पहुंचाया जाए जिसे "प्लास्टिक घर" भी कहा जाता है, उसके अंदर समस्त प्रकार के प्लास्टिक यथा कैरी बैग व अन्य प्रकार की वस्तुएं जमा की जाए और महीने की एक निश्चित तारीख को उसका संग्रहण किया जाए। धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो हम गो वंश को माता के समान दर्जा देते हैं लेकिन हमारे द्वारा उपयोग करके सड़क पर अथवा खाद्य वस्तु को उसमें पैक करके फेंके गए प्लास्टिक की थैली का जब गौ माता सेवन करती है तो वह काल का ग्रास बनती है इसके अतिरिक्त प्लास्टिक का सेवन करने वाली गौ माता का दूध पीने से हमें भी जानलेवा बीमारियां होने का खतरा रहता है।
गुप्ता ने बताया कि राजस्थान में पशुधन बहुत है ऐसे में अगर हर घर में छोटे बायोगैस प्लांट लगा दिया जाता है तो गांव के अंदर गोबर का निस्तारण एवं फैलने वाली गंदगी पर भी अंकुश लगेगा तथा किसान आसानी से अच्छी खाद प्राप्त कर सकेगा तथा इससे प्राप्त होने वाली गैस मेथैन भोजन पकाने के लिए घरेलू गैस के विकल्प के रूप में सामने आया है। इस प्रणाली को और अधिक विकसित और प्रचारित किया जाना अत्यंत आवश्यक है ताकि गांव के लोग इसे अपना कर ईंधन प्राप्त कर सके और हमे एलपीजी गैस पर अधिक निर्भर नहीं रहना पड़े। जिस किसी घर में चार पशु हैं वहां यह प्लांट लगाया जा सकता है। प्रति पशु 10 किलो गोबर नियमित रूप से मिलता है। चार जानवरों के गोबर से एक माह में 1.5 टंकी गैस एवं जो खाद के रूप में स्लैरी प्राप्त होती है वह श्रेष्ठ खाद के रूप में प्राप्त होती है तथा 1.5 टंकी गैस से एक परिवार का भोजन व दैनिक खर्चा बड़े आराम से हो जाती हैं। प्लांट की लागत 31 हजार रूपए आती है एवं 25 हजार रुपए सब्सिडी रतन टाटा ट्रस्ट द्वारा दी जाती हैं। राजस्थान के पड़ोसी राज्य गुजरात में प्रत्येक घर में बायोगैस प्लांट लगे हुए हैं और वहां पर राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है। गुप्ता ने कहा कि गांव क्षेत्र में कहीं पर भी खाली भूखंड अथवा स्थान ऐसा नहीं रहना चाहिए जहां पर गंदगी फैली हुई हो। ऐसे स्थान के भूखंड मालिक को नोटिस अथवा जानकारी देते हुए उससे सफाई की व्यवस्था कराना ग्राम पंचायत प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है। ग्राम पंचायत में आरआरसी प्लांट बना होना अति आवश्यक है। गांव के प्रत्येक घर से एकत्र किया हुआ कचरा इस प्लांट में लाकर खाली किया जाएगा। 
उन्होंने बताया कि चयनित ग्राम पंचायत में 14वें वित्त आयोग, भारत सरकार के तहत प्रति ग्राम पंचायत 20 लाख रुपए से 50 लाख रुपए तक अनुदान, अनुबंधित मद से 30 प्रतिशत धनराशि का उपयोग जल तथा 30 प्रतिशत राशि स्वच्छता पर एवं 40 प्रतिशत धन राशि का व्यय ग्राम सभा के निर्णय अनुसार किया जाएगा। आरआरसी (रिसोर्स रिकवरी सेंटर) प्लांट, गीला और सूखा कचरा नियत समय पर अलग-अलग करके एकत्र करना, कंपोस्ट पीट बनाना, कचरे का सेग्रीगेशन करना, ग्रेव वॉटर ट्रीटमेंट, तालाब के अंदर गंदे पानी के जाने पर रोकथाम, पंचायत में बाग बगीचे और ओपन जिम तथा झूले लगाए जाना, सामुदायिक शौचालय का निर्माण, ब्लैक वाटर का ट्रीटमेंट, प्लास्टिक घर बनाना, बायोगैस प्लांट, सार्वजनिक दीवारों पर पेंटिंग, नारा लेखन आदि करना, पंचायत के प्रवेश पर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री और मंत्रीजी का फोटो सहित होर्डिंग लगाना, कचरा यार्ड की नियमित रूप से सफाई और लिगेसी वेस्ट का निस्तारण करना, पुरानी टूटी हुई सड़क और नाली की मरम्मत करने सहित गांव में महिला स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक पंचायत में 10 सिलाई मशीन उपलब्ध कराना, पंचायत में पुस्तकालय, आरो मशीन प्लांट, पंचायत में स्थित होटल में साफ सफाई की विशेष निगरानी सहित सौर ऊर्जा प्लांट लगाना और वातावरण में फैले हुए प्रदूषण को नियंत्रित करने सहित आदि घटक पर कार्य किया जाएगा। 
जिला कलेक्टर  नमित मेहता और जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी  शिवपाल जाट ने विश्वास जताया किया कि चयनित सभी मॉडल ग्राम पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी कार्य प्राथमिकता के साथ में पूर्ण करते हुए सौ फीसदी लक्ष्य पूर्ति की जाएगी तथा निश्चित रूप से सभी पंचायत स्वच्छता में अव्वल स्थान प्राप्त करेंगी। आने वाले समय में जिले की समस्त ग्राम पंचायत को प्रदेश की सबसे स्वच्छ और सुंदर पंचायत बनाने की दिशा में कार्य करते हुए सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जाएंगे।

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Avinash chaturvedi

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