सैनिक स्कूल में कथक नृत्य की प्रस्तुति
चित्तौड़गढ़ स्थित सैनिक स्कूल में स्कूल के प्राचार्य कर्नल अनिल देव सिंह जसरोटिया एवं उप प्राचार्या लेफ्टिनेंट कर्नल पारूल श्रीवास्तव के निर्देशन में स्पिक मैके प्रोग्राम के तहत कथक नृत्य का आयोजन हुआ। सोसायटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर यूथ द्वारा स्कूल के शंकर मेनन सभागार में आयोजित हुए कार्यक्रम की मुख्य अतिथि स्कूल कैंपस की प्रथम महिला श्रीमती मोनिका जसरोटिया थी। स्कूल के सीनियर मास्टर ओंकार सिंह ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया।
चित्तौड़गढ़ स्थित सैनिक स्कूल में स्कूल के प्राचार्य कर्नल अनिल देव सिंह जसरोटिया एवं उप प्राचार्या लेफ्टिनेंट कर्नल पारूल श्रीवास्तव के निर्देशन में स्पिक मैके प्रोग्राम के तहत कथक नृत्य का आयोजन हुआ। सोसायटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर यूथ द्वारा स्कूल के शंकर मेनन सभागार में आयोजित हुए कार्यक्रम की मुख्य अतिथि स्कूल कैंपस की प्रथम महिला श्रीमती मोनिका जसरोटिया थी। स्कूल के सीनियर मास्टर ओंकार सिंह ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया।
स्कूल के जन संपर्क अधिकारी बाबूलाल शिवरान ने बताया कि इस अवसर पर प्रख्यात अंतराष्ट्रीय कलाकार शिप्रा जोशी ने कथक नृत्य की कई आर्ट फॉर्म को प्रदर्शित किया। नृत्यांगना के कदमों की ताल ने विद्यालय के सभागार में एक तिलिस्मी समां बांध दिया। शिप्रा जोशी की प्रस्तुति ने सभी दर्शकों को भारतीय संस्कृति की गहराई और सुंदरता का अनुभव कराया। उनके नृत्य में प्रस्तुत किए गए हर भाव और हर ताल ने दर्शकों के दिलों को छू लिया। नृत्यांगना ने छात्रों के सवालों के जवाब दिए। जिसमे उन्होंने बताया कि नृत्य एक साधना है, पूजा है, नृत्य आस्था का प्रतीक है नृत्य प्रत्येक व्यक्ति के अंदर है, बस खुद में आत्मबल लाने और उसे तराशने की जरूरत है। उन्होंने शास्त्रीय नृत्य की बारीकियों से भी छात्रों को रूबरू कराया।
मुख्य अतिथि श्रीमती मोनिका जसरोटिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से कैडेट्स में भारतीय संस्कृति का प्रवाह किया जा सकता है। शास्त्रीय नृत्य केवल एक कला नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और सभ्यता का प्रतिबिंब भी है। आज के इस कार्यक्रम में हमने जिस उत्कृष्टता और समर्पण के साथ नृत्य को प्रस्तुत करते देखा, वह वास्तव में प्रशंसनीय है। इनकी प्रतिभा और साधना हमें यह संदेश देती है कि हमारी प्राचीन धरोहर कितनी महत्वपूर्ण और जीवंत है। अंत में मुख्य अतिथि ने कथक नृत्यांगना शिप्रा जोशी को स्मृति चिन्ह देकर आभार व्यक्त किया। मंच का संचालन कैडेट प्रियंका सांवरिया ने किया।
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