एमईएस हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक विभाग का शुभारम्भ
चित्तौड़गढ़ एमईएस हॉस्पिटल एण्ड डाइग्नोस्टिक सेन्टर गाँधीनगर में आज ऑर्थोपेडिक विभाग का शुभारम्भ रमताराम व दिग्विजय महाराज के मुख्य आतिथ्य में हुआ। संस्थान अध्यक्ष गोविन्द लाल गदिया ने बताया कि एक वर्ष में ही अभी तक 1100 बच्चो का जन्म एमईएस हॉस्पिटल में हो चुका है। यह हॉस्पिटल जनरल वार्ड , कोटेज वार्ड ,आईसीयू , इमरजेन्सी व अन्य सर्व सुविधायुक्त है।
चित्तौड़गढ़ एमईएस हॉस्पिटल एण्ड डाइग्नोस्टिक सेन्टर गाँधीनगर में आज ऑर्थोपेडिक विभाग का शुभारम्भ रमताराम व दिग्विजय महाराज के मुख्य आतिथ्य में हुआ। संस्थान अध्यक्ष गोविन्द लाल गदिया ने बताया कि एक वर्ष में ही अभी तक 1100 बच्चो का जन्म एमईएस हॉस्पिटल में हो चुका है। यह हॉस्पिटल जनरल वार्ड , कोटेज वार्ड ,आईसीयू , इमरजेन्सी व अन्य सर्व सुविधायुक्त है। स्वर्गीय भँवरलाल जी गदिया की प्रेरणा के अनुसार यहां आर्थिक अभाव ग्रस्त व गरीब आमजनो का बिना किसी फायदे नुकसान के इलाज किया जाता है। अस्थि , जोड़ प्रत्यारोपण व् स्पाइन रोग विशेषज्ञ डॉ. सचिन शॉक्य ने कहा कि ऑर्थोपेडिक विभाग खुलने के बाद अब वर्तमान में कन्धा, कमर, घुटना एवं जोडो का दर्द , हाथ, पॅाव में झुनझुनापन, जलन सुनापन ,गठिया रोग एवं हड्डी टूटना, हड्डी के सभी ऑपरेशन व सम्पूर्ण इलाज नवीनतम मशीनरी न्युनतम पद्धति से , साथ ही शीघ्र ही घुटना व कुल्हा प्रत्यारोपण के जटिल ऑपरेशन भी एमईएस हॉस्पिटल में रियायती दरो पर उपलब्ध होगे। अब इन जटिल बीमारीयो व व्याधियो के लिए आमजन को बाहर जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
दिग्विजय महाराज ने कहा कि मेवाड़ एज्युकेशन सोसायटी में तीन मन्दिर है। श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर , शिक्षा के विभिन्न पाठ्यक्रमों रूपी विद्या मन्दिर व मानवता की सेवा व व्याधियों की मुक्ति हेतु सर्व सुविधा युक्त एमईएस हॉस्पिटल । उन्होंने कहां चिकित्सीय सेवा 24 घटें का सेवा कार्य है जो मानवता के लिए समर्पित है व मानव सेवा ही परम धर्म होता है। कार्यक्रम में सोसायटी उपाध्यक्ष राधाकिशन गदिया, सचिव शंकर लाल गदिया, बसन्ती लाल गदिया व समस्त गदिया परिवार ,एमईएस हॉस्पिटल के डॉ. अरविन्द सनाढ्य, डॉ. प्रतिभा सनाढ्य, हॉस्पिटल स्टॉफ, समस्त महाविद्यालय के प्राचार्य, डीन, संकाय सदस्य व छात्राऐं उपस्थित थी। संस्थान निदेशक डॉ. एल.एल.शर्मा ने पधारे हुए समस्त अतिथिगण का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. इन्द्रा बल्दवा ने किया।
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