मानवता ही महानता की प्राप्ति का द्वार-  विजयमुनि

मानवता ही महानता की प्राप्ति का द्वार-  विजयमुनि

Jun 2, 2024 - 18:45
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मानवता ही महानता की प्राप्ति का द्वार-  विजयमुनि

मानवता ही महानता की प्राप्ति का द्वार-  विजयमुनि

नीमच घर-घर में मानव जन्म लेते हैं। मगर मानवता हर घर में जन्म नहीं लेती है जिस घर या घट में मानवता जन्म लेती है वह घर और घट धन्य हो जाता है । मानवता का संकट सबसे बड़ा संकट होता है ।इस संकट का सामना आज हर वर्ग और हर समाज को करना पड़ रहा है। मानवता ही महानता की प्राप्ति का द्वार है। बिना मानवता को पाए महानता को नहीं पाया जा सकता है। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक विजयमुनि ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में वीर पार्क रोड स्थित श्री वर्धमान जैन स्थानक जैन भवन पर आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा मानवीय संवेदना में ही सच्चा धर्म होता है। पूरे देश में सड़कों पर विहार करते हुए साधु संतों का दुर्घटना में घायल होना दुर्भाग्य का विषय है समाज के सभी वर्गों को साधु-संतों की रक्षा के लिए विहार समूह बनाकर आगे आना चाहिए।साधु समाज के सच्चे मार्गदर्शक होते हैं इसलिए संतों की रक्षा का कर्तव्य समाज का होता है।

मानवता के निकट होने के तीन सूत्र संवेदनशीलता, विनम्रता और उदारता यह तीन सूत्र जिसके जीवन में होते हैं वह मानवता के निकट होता है ।मानव ही अपने जीवन में मानवता प्राप्त कर सकता है। मानवता की उपेक्षा आज ही नहीं हर युग की और हर देश समाज और राष्ट्र की होती है। चौथमल मुनि  महाराज  ने इन संदेशों को आगे बढ़ाया था।उन्होंने कहा था कि मानवता की सेवा होनी चाहिए ।जब मानव मानवता धारी बन जाता है तो इसमें दूसरों के दुःख के प्रति संवेदनशीलता पैदा हो जाती है । प्रवर्तक मुनि ने मानवता के निकट होने के तीन सूत्र संवेदनशीलता विनम्रता और उदारता है यह तीन सूत्र जिसके जीवन में होते हैं वह मानवता के निकट होता है। मानवता की अपेक्षा आज की नहीं हर युग की और हर देश समाज और राष्ट्र की होती है मानवता की पूजा होनी चाहिए। जब मानव मानवता धारी बन जाता है तो जो उसमें दूसरों के दुःख के प्रति संवेदनशील पैदा हो जाती है। संवेदनशील मानव और विनम्र और उदार बनकर हर दुखी मानव की जरूरत को पूरा करने में अपना तन मन धन लगा देता है जो उसे महानता प्रतिष्ठा की प्रदान करती है। चंद्रेश मुनि  ने कहा कि तपस्या से श्रृंगार करेंगे तो आत्मा परमात्मा बन सकती है। महावीर का उपदेश यह है की उदारवादी बनना चाहिए। आधुनिक युग में भूखे लोग बहुत है इसलिए झूठा नहीं छोड़ना चाहिए। अन्न का अपमान नहीं करना चाहिए अन्न में देवता होते हैं इसका अपमान होगा तो प्रलय काल प्रारंभ हो सकता है ।हम दान नहीं दे कोई बात नहीं कोई दे रहा तो उसके अनुमोदना अवश्य करना चाहिएं

साध्वी धेर्य प्रभा श्री महाराज  ने कहा कि विवेक बिना धर्म मार्ग नहीं मिलता है। कोयला चंदन की लकड़ी का क्यों नहीं हो उसका मूल्य नहीं बदलता है। किसी को नीचा नहीं दिखना चाहिए। गिरते को उठाना ही सबसे बड़ा धर्म होता है। हम यदि हम दूसरों को नीचा दिखाने का प्रयास करेंगे तो हमारी दुर्गति होती है। गुरु की वाणी होती है वही भगवान होते हैं जहां तब ज्ञान संयम होता है वही कल्याण होता है जहां नवकार होता है वही भव पार होता है।इस अवसर पर सभी समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की।धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनि अभिजीतमुनि , ठाणा 3 मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। 

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Avinash chaturvedi

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I'm Avinash, a dedicated news editor with a keen eye for storytelling and a passion for staying ahead of the latest developments. Armed with a background in journalism and a knack for uncovering hidden gems of information, I strive to present news in an engaging and informative manner. Beyond the headlines, I'm an avid [Hobbies/Interests], and I believe that every story contributes to the rich tapestry of our world. Join me as we dive into the dynamic world of news and discover the stories that shape our lives.