श्रीमद् भागवत कथा का विराम
End of Shrimad Bhagwat Katha

चित्तौड़गढ़ बापूनगर सेंती से सटे श्रीहाटकेश्वर धाम में आयोजित श्रीमद भागवत कथा सप्ताह का विराम गुरूवार शाम हुआ। कथा विश्राम के दिन सुदामा चरित्र व भागवत पूजन कार्यक्रम हुआ। आयोजन से जुड़े प्रेमशंकर दशोरा ने बताया कि संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह में व्यासपीठ से कथा का वाचन संजयकृष्ण उपाध्याय मथुरा वाले ने गत 17 मई से प्रतिदिन दोपहर एक से शाम पांच बजे तक किया। गुरूवार को कथा का वाचन करते हुए उपाध्याय ने गोपी गीत का महत्व बताया। साथ ही कहा कि जिस मनुष्य की अधिक उन्नति होती है तो उसके शत्रू भी बनते हैं। भगवान के भी शत्रू बने थे। लेकिन दुख के साथ सुख में भी मुरली वाले को रिझाते चलेंगे तो दुख नहीं आएंगे। हर दुख सुख में परमात्मा को याद करो। क्योंकि जिसके पास राम है। वह भव सागर पार हो जाता है। उन्होंने चरण वंदना का महत्व बताते हुए कहा कि जितने झुकोगे तो उतने आगे बढोगे। क्योंकि चरणों में ही बुजुर्गों का आर्शीवाद व संस्कार छिपे हुए हैं। जबकि घुटने तक प्रणाम करेंगे तो घुटनों के दर्द हम पाएंगे। राम और राधे शब्द का बड़ा महत्व है। परमात्मा का नाम बोलेंगे तो सामने वाले को सुख की अनुभूति कराएंगे। हमे स्वयं को परमात्मा का दास मानना चाहिए। क्योंकि व्यक्ति के साथ उसके कर्म ही साथ जाते हैं। इसलिए जितना ज्यादा हो परमात्मा का स्मरण करो। जीवन में धर्म व कर्म जरुरी है। लेकिन दोनों में समानता होनी चाहिए। उन्होंने यज्ञ में दान का महत्व बताया। इधर कथा शुभारंभ पर बापूनगर सेंती स्थित हनुमान मंदिर से कलश यात्रा कथा स्थल सेंती में सड़क नंबर दस देवनारायण मंदिर के पास स्थित हाटकेश्वर महादेव मंदिर तक निकाली गई। कलश यात्रा के बाद कथा व्यास संजयकृष्ण उपाध्याय ने भक्ति भागवत महिमा, परीक्षित, सुकदेव चरित्र, दशावतार, कपिल ध्रुव भक्त प्रहलाद चरित्र, समुद्र मंथन, वामन अवतार के अलावा कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। गोवर्धन पूजन व छप्पन भोग धराने के अलावा रास लीला, रूकमणी विवाह व हाेली उत्सव मनाने के बाद गुरूवार को सुदामा चरित्र व भागवत पूजन कार्यक्रम हुआ। बड़ी संख्या में भक्त कथा श्रवण के लिए पहुंचे। शुक्रवार को सुबह हवन की पूर्णाहुति के अलावा रूद्राभिषेक होगा।
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