बसंत पंचमी पर्व विशेष पंच महापुरुष योग में पूजा अर्चना करने से मिलेगी माँ सरस्वती की विशेष कृपा
शास्त्रों के अनुसार वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली भी प्रसन्न होती हैं। हिन्दू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया कि इस बार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से है। अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि 14 जनवरी को प्राप्त हो रही है, इसलिए इस साल वसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा।
हिन्दू सनातन धर्म मे प्रत्येक वर्ष माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन माँ सरस्वती हाथों में पुस्तक, विणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान हो कर प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही वसंत पंचमी से ही वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। शास्त्रों के अनुसार वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली भी प्रसन्न होती हैं।
हिन्दू पंचांग के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया कि इस बार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से है। अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि 14 जनवरी को प्राप्त हो रही है, इसलिए इस साल वसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा।
वसंत पंचमी 2024 शुभ मुहूर्त
14 फरवरी को वसंत पंचमी वाले दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 1 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस दिन पूजा के लिए करीब 5 घंटे 35 मिनट तक अतिउत्तम समय है।
बसंत पंचमी पर बन रहे ये विशेष ज्योतिषीय योग
ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने हिन्दू पंचांग के आधार पर बताया कि इस बसंत पंचमी पर ग्रहों की युति से पंच दिव्य योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा इस दिन रेवती , अश्विनी नक्षत्र के साथ शुभ योग बन रहा है। वहीं ग्रहों की स्थिति की बात करें, तो शनि की राशि यानी मकर राशि में मंगल, शुक्र और बुध की युति हो रही है, जिससे त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही मेष राशि में चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी योग बन रहा है और मकर राशि में मंगल और शुक्र की युति से धनशक्ति राजयोग, शुक्र और बुध की युति से लक्ष्मी नारायण राजयोग और मंगल के उच्च राशि यानी मकर राशि में जाने से रूचक योग का निर्माण हो रहा है। इस रूचक योग को पंचमहापुरुषों योग में से एक माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन एक साथ इतने शुभ योग बनने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होगी।
वसंत पंचमी पूजा विधि
वसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें। उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं। इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।इस दिन सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं। साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें।
पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं।
अंत में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः: स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन कर मां सरस्वती की आरती करें।
Dr. Sanjay Geel
President
Sai Astrovision Society, Chittorgarh
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