नशा सिर्फ सामाजिक बुराई ही नहीं, यह एक युद्ध का रूप ले रहा है- डॉ परमजीत
चित्तौड़गढ़। प्रत्येक वर्ष 26 जून का दिन "नशीले पदार्थों के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस" के रूप में मनाया जाता है। इसी मौके पर पुलिस लाईन के अन्वेषण भवन में एक कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें जिला पुलिस अधीक्षक सहित अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे। कार्यशाला में एफएसएल उदयपुर के एडिशनल डायरेक्टर ने मादक औषधियों और मन:प्रभावी पदार्थों की पहचान, नशीली दवाओं का पता लगाने व मादक पदार्थों का उपयोग करने पर शरीर मे होने वाले बदलाव पर जानकारी दी गई।
नार्को पदार्थों की पहचान के लिए एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
चित्तौड़गढ़। प्रत्येक वर्ष 26 जून का दिन "नशीले पदार्थों के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस" के रूप में मनाया जाता है। इसी मौके पर पुलिस लाईन के अन्वेषण भवन में एक कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें जिला पुलिस अधीक्षक सहित अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे। कार्यशाला में एफएसएल उदयपुर के एडिशनल डायरेक्टर ने मादक औषधियों और मन:प्रभावी पदार्थों की पहचान, नशीली दवाओं का पता लगाने व मादक पदार्थों का उपयोग करने पर शरीर मे होने वाले बदलाव पर जानकारी दी गई।
पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी ने बताया कि वर्तमान समय में नशीली पदार्थ का व्यापक रूप से फैलाव हो रहा है। विद्यालयों और कॉलेज के युवाओ को नशीली चीजों की लत लगती जा रही हैं। आजकल भिन्न भिन्न प्रकार के नशीले पदार्थ हैं, जिनका उपयोग भी अलग अलग तरीकों से किया जाता हैं। इन्ही नशीले पदार्थों की पहचान करने, एफएसएल में इन्हें प्रस्तुत करने एवं इनके निर्माण व तस्करी पर रोकथाम करने के लिए बुधवार को पुलिस लाईन के अन्वेषण भवन में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यशाला में एफएसएल उदयपुर के एडिशनल डायरेक्टर डॉ परमजीत सिंह ने कहा कि पहले नशा सिर्फ साधारण तरीकों से भांग, गांजा, शराब आदि से किया जाता था, किन्तु अब नशे का नया रूप सिंथेटिक ड्रग्स ने ले लिया है। तनाव में डूबे व्यक्ति के साथ आज की युवा पीढ़ी भी भिन्न भिन्न प्रकार के नशीले पदार्थों का उपयोग अलग अलग तरीके से कर रही हैं। जिसका परिणाम भी भयावह होता जा रहा हैं। नशा करने की पहले आदत लगती हैं, धीरे धीरे यह लत बन जाती हैं और उपयोग की मात्रा भी बढ़ती जाती हैं। जिससे मानव शरीर का सेंट्रल नर्वस सिस्टम बिगड़ता जाता हैं। नशा सिर्फ सामाजिक बुराई ही नहीं रहा, यह एक युद्ध का रूप ले रहा है। उन्होंने मादक पदार्थों की तस्करी की पुलिस द्वारा कार्यवाही के दौरान मादक पदार्थों की पहचान करने, नशीली दवाओं का पता लगाने व मादक पदार्थों का उपयोग करने पर शरीर मे होने वाले बदलाव पर जानकारी दी। सिंथेटिक ड्रग्स, जिन्हें "क्लब ड्रग्स" या "पार्टी ड्रग्स" भी कहा जाता है, मानव निर्मित डिज़ाइनर ड्रग्स हैं जो गुप्त प्रयोगशालाओं में निर्मित होते हैं। उन्हें अन्य नशे की लत वाली दवाओं के प्रभावों की नकल करने के लिए बनाया जाता है और उपयोगकर्ताओं को "सुरक्षित नशे" के रूप में बेचा जाता है।
सिंथेटिक दवाओं को बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री की ताकत और प्रकार अक्सर अज्ञात होते हैं, जिससे वे उन दवाओं की तुलना में अधिक खतरनाक हो जाते हैं जिनकी नकल करने के लिए उन्हें बनाया जाता है।
कई अन्य दवाओं की तरह, सिंथेटिक दवा का दुरुपयोग आसानी से लत का कारण बन सकता है, जो व्यक्ति के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण सहित जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करता है।
कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी के अलावा, एएसपी चित्तौड़गढ़ परबत सिंह, एएसपी मुकेश सांखला, डीएसपी ग्रामीण चित्तौड़गढ़ शिवप्रकाश, डीएसपी अनिल सारन, अनिल शर्मा, एसएचओ संजीव स्वामी, गजेन्द्रसिंह, संजय शर्मा, धर्मराज, पन्नालाल, अपराध सहायक गजेन्द्रसिंह, रीडर भंवर लाल दशोरा सहित जिले के कई अनुसंधान अधिकारी व पुलिस कर्मी मौजूद थे।
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